एक शरारती आदमी खुद को बांधे हुए पाता है और आंखों पर पट्टी बांधे हुए, एक कठोर डॉमीनेटरिक्स के लिए खेलता है। उसके कोड़े और रस्सियां उसे अपने घुटनों, उसकी गांड पर लाती हैं। जैसे ही वह उसे दंडित करती है, उसकी चीखें गूंजती हैं, उसका चरमोत्कर्ष उसे भर देता है। समर्पण में एक सबक, आनंद का वसीयतनामा।